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Wednesday 15 June 2011
क्या चन्द्र ग्रहण की पूजा से बरसेगा धन ?
Tuesday 14 June 2011
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
15 जून 21वीं सदी का अभूतपूर्व और अद्ïभुत चंद्र ग्रहण
श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज |
Sunday 12 June 2011
मार्गी शनि होरा शास्त्र के अनुसार बारह राशियों पर क्या प्रभाव डालेगा-
शनि मार्गी
Saturday 11 June 2011
18 साल के बाद 18 महीनें के लिए राहु का महा परिवर्तन योग
मैदिनी ज्योतिष ग्रह गणना अनुसार इस समय जिस तरह के ग्रह योगायोग है ये 30 जुलाई तक अनुकूलता का संकेत नहीं दे रहे हैं। इस समय जबरदस्त राजनीतिक उठा-पटक परिवर्तन की संभावना है। सत्ता और विपक्ष में टकराव बढ़ेगा। राजनीतिक नये समीकरण बनेंगे। संवेदनशील विषयों पर असंवेदनशील टिप्पणी एवं बयानबाजी से बखेड़ा खड़ा होगा। प्राकृतिक प्रकोप की घटनाएं बढ़ेगी। हवा, आंधी-तूफान, अग्नि के साथ-साथ पानी से भी नुकसान की संभावना नजर आ रही है। सडक़, रेल और हवाई की दुर्घटना पुन: नजर आ रही है। भूकंप, भूसंख्लन, बाढ़ जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। पूरा विश्व आतंकवाद से जूंझता हुआ नजर आएगा। बृहस्पति और राहु का षडाष्टïक योग धर्म को लेकर उठा-पटक का संकेत भी दे रहा है। धर्म पर किये गये अर्नगल बयानबाजी से सांप्रदायिक सौह्रïार्द की भी कमी नजर आ रही है। मैदिनी ज्योतिष मुख्य रूप से यह संकेत दे रही है संपूर्ण पक्ष और विपक्ष के राजनेताओं को एवं प्रमुख व्यक्तियों को वाणी में संयम और शालीनता का परिचय देना राष्टï्र के हित में देना अति आवश्यक होगा।
होरा शास्त्र के अनुसार द्वादश राशियों पर राहु के राशि परिवर्तन का प्रभाव
राहु अकस्मात और अचानक फल प्रदान करता है। और यह बारह की बारह राशियों को कुछ लेगा और देगा भी अवश्य।
मेष राशि मीन राशि वालों के लिए राहु नौवें भाव में गोचर कर रहा है। मीन राशि वालों के लिए यह राशि परिवर्तन लाभदायक रहेगा। किये गए प्रयासों में आशातीत लाभ की प्राप्ति होगी। पुराने मित्रों से मिलन होगा और उनके सहयोग से लाभ प्राप्त होगा। मेष राशि श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती महाराज | |
Friday 10 June 2011
भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनिदेव
शनिदेव कर्म के कारक होने की वजह से मनुष्य को क्रियमाण कर्मों का अवलंबन ले अपने पूर्वकृत कर्मों के फल भोग को भी कुछ हद तक अपने अनुरूप बनाने में सक्षम हो सकता है। ज्योतिषीय विश्लेषण के आधार पर बताये गये उपायों का अवलंबन ले प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने का पुरुषार्थ कर सकता है। इस प्रकार ज्योतिष मनुष्य को भविष्य की जानकारी देकर उसे अपने कत्र्तव्यों द्वारा प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल बनाने के लिए प्रेरणा व प्रोत्साहन देता है। यह प्रेरणा मनुष्य के अंदर पुरुषार्थ करने की पर्याप्त चेतना भी जाग्रत करती है।
यह पूरा विश्व जिस सर्वोच्च सत्ता के संकल्प मात्र से अस्तित्व में आया है। उसी की इच्छानुसार नव ग्रहों के ऊपर इस विश्व के समस्त जड़-चेतन को नियंत्रित व अनुशासित करते रहने का गुरुतर भार भी सुपुर्द किया गया है। मानव समेत समस्त प्राणियों को मिलने वाले सुख-दुख ग्रहों के द्वारा ही प्रदान किये जाते हैं। यह बात अलग है कि किसी भी प्राणी को मिलने वाले सुख-दुखों के मूल में उस प्राणी के किये गये निजी कर्म ही होते हैं। किंतु कर्म का कारक होने की वजह से शनिदेव की क्रियमाण कर्मों के संपादन में एक अहम भूमिका है, जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। मनुष्य के द्वारा किये गये कर्मों के विपुल भंडार में से किसी कर्म का फल कब और किस प्रकार भोगना है, इसका निर्धारण तो नव ग्रहों द्वारा ही हुआ करता है जिसमें शनिदेव की भूमिका अति विशिष्ट होती है।
क्योंकि प्राणियों के शुभाशुभ कर्मों का फल प्रदान करने में शनिदेव एक सर्वोच्च दण्डाधिकारी न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हैं। अशुभ कर्मों के लिए नियत दण्ड प्रदान करते समय शनिदेव न तो कभी देर करते है और न पक्षपात। दण्ड देते वक्त दया तो उनको छू नहीं पाती, यही वजह है कि शनिदेव नाम से ही लोगों के हृदय में भय समा जाता है। संभवत: शनिदेव को क्रूर, कुटिल व पाप ग्रह भी इसीलिए कहा गया है। किंतु इसका मूल आशय यह नहीं कि शनिदेव के अंदर कृपालुता व दयालुता की कमी है।
पूर्वजन्म के कर्मों के अनुसार संचित पुण्य और पापों का फल वर्तमान जीवन में ग्रहों के अनुसार ही प्रकट होते हैं। इसलिए महादशा, अंतर्दशा आदि का ज्ञान भी आवश्यक है। इसलिए उसके परिणाम की जानकारी हो जाने पर इच्छित वस्तु की प्राप्ति और अनिष्ट फलों से बचाव के लिए उचित उपाय किया जा सकता है। यह याद रखने की बात है कि ग्रह संबंधी जो आयु है, वही उसकी दशा है। सभी ग्रह अपनी दशा में अपने गुण के अनुरूप जातक के पूर्वकृत शुभाशुभ कर्मों के अनुसार उसे शुभाशुभ परिणाम प्रदान करते हैं।
हमारे प्राचीन मनीषियों ने शनिदेव के अनुकूल व प्रतिकूल प्रभावों का बड़ी सूक्ष्मता से निरीक्षण कर उसकी विस्तृत विवेचना की है। शनिदेव एक ऐसे ग्रह हैं जिनका जातकों पर परस्पर विरोधी प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। अगर जातक के शुभ कर्मों की वजह से शनिदेव अनुकूल होते हैं तो उसको धन-वैभव से परिपूर्ण कर देते हैं, अन्यथा उसके निजकृत अशुभ कर्मों की वजह से प्रतिकूलत फल भी देते हैं।
शनिदेव की अनुकूल दशा में मनुष्य को स्मरण-शक्ति, धन-वैभव व ऐश्वर्यादि की प्राप्ति होती है। उन्हें गड़े खजाने भी मिल जाते हैं और कारोबार में संतोषजनक लाभ भी उपलब्ध होता है। शनिदेव की अनुकूलता लोगों को जनप्रतिनिधि या शहर, कस्बों व गांवों के प्रधान भी बना देती है। उन्हें कृषि कार्य से विशेष धनार्जन होता है। ऐसे लोगों को आदर, यश, पद आदि सब पर्याप्त रूप से उपलब्ध होते हैं।
जब शनिदेव जातक के निजकृत अशुभ कर्मों की वजह से प्रतिकूल होते हैं तो जातक को जिस प्रकार सुनार सोने को आग में तपाकर गहनों में परिवर्तित कर देता है ठीक उसी प्रकार निजकृत कर्मों को भुगतवाकर एक सदाचारी मानव भी बनाता है और उसके लिए उसे बहुत से कष्टïों का सामना भी करना पड़ता है। शनिदेव पक्षपात नहीं करते हैं। वे तो मात्र जातक को कुंदन बनाने का प्रयास करते हैं। वे कतई नहीं चाहते हैं कि जातक के भीतर में कोई दाग बचा रह जाये।
याद रखें, शनिदेव के कोप का भाजन वही लोग होते हैं जो गलत काम करते हैं। अच्छे कर्म करने वालों पर शनिदेव अति प्रसन्न व उनके अनुकूल हो जाते हैं और उनकी कृपा से लोगों की उन्नति होती है। शनिदेव उनको महत्वपूर्ण पदों के स्वामी अर्थात् मंत्री, प्रधानमंत्री तक बना देते हैं। लेकिन जब शनिदेव अप्रसन्न हो जाते हैं तो उन्हीं राजनेताओं को वह काल-कोठरी में बंद करा देते हैं और उन्हें तरह-तरह की यातनाएं भी झेलनी पड़ जाती हैं।
Wednesday 4 May 2011
Serving poor is only true religion
By drawing inspiration from Mahamandaleshwar Parmhans Daati Ji Maharaj and with efforts of Shree Shanidham Trust, alawas two days Gangor Festival was organized at tribal region Kooran in collaboration of Aadiwasi Godwad Organization. Sports minister Maangilal Grasia, District Collector Neeraj K. Pawan and chairman of Vidhan Sabha Kesar Singh graced this festival with their presence.
On this occasion Daati Ji declared:
· To donate one ambulance for providing health services to deprived.
· Donation of Rs. Three lacs for office construction at subdivision headquarters of Bali.
· Shanidham Trust will help in providing teachers to deprived regions.
· Trust will help in educating unprivileged children.
· To solemnize marriage of 51 poor daughters.
· District collector to submit the list of entitled nominees for issuing card of Daati Gareeb Card Scheme.
· Also Dispersed 14 tons of sugarcane.
Daati ji said, ‘I am always ready and prepared to help poor and needy people.
On same occasion sports minister Garasia said, ‘Special efforts will be made for development of tribal regions. Education is key to all solutions. Happiness and prosperity can be brought to every house with the help of key of education. District Collector Neeraj K. Pawan said, ‘To educate each child Govt. has launched many schemes.’ Growth and development minister Parbat Singh Bhati, Parshad of Phalna Somender Gurjar, Chairman of Vidhan Sabha of Bali Kesar Singh Rajpurohit, Hansaram Mori and Former Sarpanch Dalaa Ram were also present on this occasion.
Saturday 30 April 2011
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Mahamandaleshwar Paramhans Daati Maharaji
Friday 25 February 2011
सूर्य मंगल, बुध और शनि में षडाष्टïक संबंध shani maharaj
Saturday 5 February 2011
बसंत पंचमी पर करें विद्या की देवी सरस्वती को प्रसन्न
Shanicharananuagi Shree Shree 1008 Mahamadaleshwer Paramhans Daati Ji Maharaj
मनभावन बसंत ऋतु का।
उमंगों और उत्साह से भरपूर इस पर्व को वैदिक काल से ही मनाया जाता रहा है।
आधुनिक काल में भी भारत के विभिन्न भागों में यह पर्व विविध रूपों में मनाया जाता है।
माघ माह की शुक्ल पंचमी को यह पर्व मनाने की प्रथा है।
इस समय शीत ऋतु समाप्ति की ओर होती है और ग्रीष्म ऋतु के आगमन की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है।
इन दोनों ऋतुओं के संधिकाल में प्रकृति का रूप-सौंदर्य निखर उठता है।
दिन बड़े तथा रातें छोटी होने लगती है।
बसंत पंचमी के दिन किसान लोग नये अन्न में गुड़ तथा घृत मिश्रित करके अगि् तथा पितृ-तर्पण करते हैं।
माता सरस्वती या शारदा देवी मन, बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं।
विद्या की देवी सरस्वती हंसवाहिनी, श्वेतवस्त्रा, चार भुजाधारी और वीणा-वादिनी हैं।
साधना कैसे करें?
प्रात:काल जल्दी उठ जायें, स्नान तथा दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर पीले वस्त्र धारण करें।
अब घर के किसी स्वच्छ कमरे में अथवा पूजा स्थान में अपने परिवार के साथ बैठ जायें।
पूजा में सरस्वती जी का चित्र स्थापित करें या मूर्ति स्थापित करें।
अब एक थाली लें, थाली में अष्टगंध से सरस्वती यंत्र का अंकन करें।
अंकन हेतु चांदी की शलाका का उपयोग करें।
परिस्थितिवश आप तांबे की शलाका या तार भी उपयोग में ले सकते हैं।
अब थाली में बनाये गये सरस्वती यंत्र पर धारण करने वाला सरस्वती यंत्र थाली में रखें।
सभी यंत्रों पर अष्टगंध का तिलक करें और पीले पुष्प चढ़ायें।
अब सामने अगरबत्ती, धूप व दीपक जलायें।
दूध का बना प्रसार अर्पित करें, फिर 108 बाद सरस्वती मंत्र का जाप करें।
जितने लोगों के लिये प्रयोग हो रहा है सभी इस मंत्र का 108 बार जप करें।
सरस्वती मंत्र:- ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नम:।
अब सरस्वती चित्र, सरस्वती यंत्र अथवा मूर्ति की संक्षिप्त पूजा कर पीले पुष्प चढ़ायें।
बालकों को अष्टगंध से तिलक कर पीले पुष्पों की माला पहनायें।
अब सिद्ध सरस्वती यंत्रों को प्रत्येक के गले में धारण करवायें।
इसके बाद चांदी की शलाका (तांबे की भी हो सकती है) ये अष्टगंध द्वारा प्रत्येक साधक, बालक, बालिका आदि की जीभ पर सरस्वती बीज मंत्र 'ऐं' लिख दें और फिर अपनी स्वयं की जीभ पर भी इस बीज को अंकित कर दें।
प्रत्येक बार लिखने से पूर्व शलाका को स्वच्छ जल से अवश्य धो लें।
ये बारह मंत्र बदल देंगे आपके बच्चे का भविष्य
मेष राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 गुलाब के पुष्प अर्पित करें। 108 बार ॐ ऐं नम:। इस मंत्र का जाप करें। शिक्षा में सफलता मिलेगी इसके साथ ही 11 बार गायत्री मंत्र का जाप अवश्यक करें।
वृष राशि
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 श्वेत सुगंधित पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नम: इस मंत्र का जाप करें। साथ ही 7 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें।
मिथुन राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 हरे पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ऐं ह्र्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा। इस मंत्र का जाप करें।
7 बार या देवि सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का जाप अवश्य करें।
कर्क राशि
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 श्वेत पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ विद्ये विद्यामालिनी चन्द्रिणि चारूमुखि स्वाहा। इस मंत्र का जाप करें।
7 बार ॐ स्वौं सोमाय नम:। मंत्र का जाप अवश्य करें।
सिंह राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 गुलाब के पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ एें नम: भगवती वद-वद वाग्देवी स्वाहा। इस मंत्र का जाप करें।
7 बार राहु गायत्री ॐ शिरोरूपय विद्मह अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात का जाप अवश्य करें।
कन्या राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 पीले कनेर के पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ऐं ह्र्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा। इस मंत्र का जाप करें।
7 बार महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें।
तुला राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 मोगरे के पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नम: इस मंत्र का जाप करें। साथ ही 7 बार गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें।
वृश्चिक राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 लाल गुड़हल के पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नम: इस मंत्र का जाप करें।
7 बार मंगल गायत्री ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात का जाप अवश्य करें।
धनु राशि
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 पीले पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ह्रीं ऐं सरस्वत्यै नम:। इस मंत्र का जाप करें। साथ ही 7 बार राहु गायत्री ॐ शिरोरूपय विद्मह अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात का जाप अवश्य करें।
मकर राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 नीले पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार श्रीं श्रीं अहं बद बद वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नम: इस मंत्र का जाप करें।
7 बार एकदन्तो महाबुद्धिये, सर्वज्ञो गणनायक:। सर्वसिद्धि करो देवा गौरीपुत्र विनायक:॥ मंत्र का जाप अवश्य करें।
कुंभ राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 नीले पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सरस्वत्यै नम: इस मंत्र का जाप करें। साथ ही 7 बार ॐ नमो गणेशाय ॐ वक्रतुण्डाय महाकाय। सूर्यकोटि समप्रभ: निर्विघ्ं कुरूमे देवा, सर्वकार्येषु सर्वदा॥ मंत्र का जाप अवश्य करें।
मीन राशि -
बसंत पंचमी के दिन अपने घर में मां शारदा के श्री विग्रह के आगे घी का दीपक जलाकर 108 पीले पुष्प अर्पित करें। घर में घी का दीपक जलाकर 108 बार ॐ ह्रीं ऐं सरस्वत्यै नम:। इस मंत्र का जाप करें। साथ ही 7 बार राहु गायत्री ॐ शिरोरूपय विद्मह अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात का जाप अवश्य करें।
ये रुद्राक्ष बदल देंगे आपके बच्चे का भाग्य
मेष राशि -
मेष राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 12 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
वृष राशि
वृष राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 3 दाने 4 मुखी, 1 दाना 9 मुखी और 3 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
मिथुन राशि -
मिथुन राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 11 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
कर्क राशि
कर्क राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 3 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
सिंह राशि -
सिंह राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 3 दाने 4 मुखी, 1 दाना 12 मुखी और 3 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
कन्या राशि
कन्या राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 7 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
तुला राशि -
तुला राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 3 दाने 4 मुखी, 1 दाना 9 मुखी और 3 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
वृश्चिक राशि -
वृश्चिक राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 5 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
धनु राशि
धनु राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 3 दाने 4 मुखी, 1 दाना 3 मुखी और 3 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
मकर राशि -
मकर राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 10 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
कुंभ राशि -
कुंभ राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 3 दाने 4 मुखी, 1 दाना 13 मुखी और 3 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
मीन राशि
मीन राशि वाले विद्यार्थी अपने गले में 2 दाने 4 मुखी, 1 दाना 2 मुखी और 2 दानें 6 मुखी लाल धागे में धारण करें।
नुसखे भी करेंगे आपको सहयोग
पांच ग्राम खरबूजे के बीज को छील कर पिसी हुई शक्कर और दूध मिलाकर बच्चों को नियमित रूप से सेवन करायें। बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ती है।
सौ ग्राम शंखपुष्पी को एकलीटर पानी में डालकर उबाल लें। जब पानी आधा रह जाये तो चूल्हें से उतार कर उसमें दो ग्राम जीरा चूर्ण डालकर एक गिलास गाय के दूध के साथ बच्चों को सेवन कराने से उनकी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
ब्राह्मी बूटी और तुलसी का पत्ता साथ-साथ देने से बच्चों की स्मरण-शक्ति बढ़ती है।
सुबह-सुबह नित्य एक सेब खिलाने से भी बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ जाती है।
सुबह आठ-दस तुलसी के पत्ते खिलाकर पानी पिला देने से भी स्मरण-शक्ति का विकास होता है।
दो तोले ब्राह्मी के पत्तों को एक गिलास गाय के दूध में एक लीटर जल मिलाकर पतीले में मध्यम आग पर पकाएं। जब जल मात्र एक गिलास बच जाय तो आंच से उतार ले और इसमें थोड़ी सी मिसरी मिलाकर हल्का गरम ही बच्चे को पिला दें। इससे स्मरण-शक्ति बढ़ती है और उसके बल-बुध्दि का भी विकास होता है।
आपका नाम अक्षरों से देखें अपना राशिफल 2023 शुरू होने से पहले यह पूरी विडियो देखनी चाहिए
आपका नाम अक्षरों से देखें अपना राशिफल 2023 शुरू होने से पहले यह पूरी विडियो देखनी चाहिए आपका नाम इन चू , चे , चो , ला , ली , लू , ले , लो...
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4 मई 2019 शनि अमावस्या महोत्सव आओ चले श्री शनिधाम, असोला, फह्तेपुर बैरी, छत्तरपुर, नई दिल्ली 110074 https://www.facebook.com/ShreeShani...
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विजय दशमी के रूप में प्रसिद्घ यह त्योहार पूरे देश में विभिन्न नामों और तरीकों से मनाया जाता है। इसके मनाने के पीछे सामाजिक और धार्मिक प...