वन्यजीवों को खाने-पीने के लिए नहीं भटकना पड़ेगा
कुंभ�
शनिधाम ट्रस्ट के संरक्षक दाती मदन महाराज ने कुंभलगढ़ अभयारण्य में जानवरों की भूख और प्यास बुझाने का बीड़ा उठाया है। वे गुरुवार को जिला प्रमुख खुशवीरसिंह, मां श्रद्धा, लाल महाराज तथा शिष्यों के साथ अभयारण्य पहुंचे। खुशवीरसिंह की प्रेरणा व भास्कर की पहल पर दाती महाराज ने जंगल में ही जंगली जानवरों की भूख व प्यास मिटाने के माकुल इंतजाम करने का बीड़ा उठाया।
जानकारी के अनुसार दाती मदन महाराज सुबह अभयारण्य पहुंचे। उन्होंने पानी की व्यवस्था के लिए टैंकर तथा खाद्य सामग्री के साथ अभयारण्य में मालगढ, तणी की नाल, ठंडी बेरी, देसुरी की नाल, परशुराम रोड सहित अभयारण्य क्षेत्र का भ्रमण किया। मदन महाराज ने बंदरों के लिए पांच सौ बोरी चने, सप्ताह में दो टन हरी ककड़ी, भालुओं के लिये पचास क्विंटल गुड़ उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है। अभयारण्य क्षेत्र में जानवरों की पेयजल सुविधार्थ बने 250 वाटर होलों को पानी से भरने के लिये प्रतिदिन 30 टैंकर डलवाने की घोषणा भी की है। इधर, जिला प्रमुख खुशवीरसिंह को उन्होंने एक लाख रुपए का नगद भुगतान हाथों हाथ किया। बताया गया कि वन विभाग के बिल के आधार पर इनका भुगतान किया जाएगा। वॉटर होलों में टैंकरों से पानी डलवाने की व्यवस्था गुरुवार को शुरू कर दी गई। सेवा कार्य लाल महाराज की देखरेख में चलेगा।
दो—दो लाख लीटर क्षमता के टांके भी बनेंगे : अभयारण्य क्षेत्र में जानवरों के पेयजल के स्थायी समाधान के लिए मदन महाराज ने दो—दो लाख लीटर की भराव क्षमता वाले तीन टांके बनवाने की घोषणा शनिधाम ट्रस्ट के मार्फत करवाई है। वे भ्रमण के दौरान ठंडी बेरी पहुंचे, जहां वाइल्ड लाइफ के सीसीएफ एनसी जैन से उन्होंने जानवरों के लिए पानी की व्यवस्था पर चर्चा की, तो जैन ने टांके बनवाने का प्रस्ताव रखा। इस पर जिला प्रमुख ने भी आग्रह किया तो महाराज ने दो—दो लाख लीटर पानी की क्षमता के तीन टांके बनवाने की मंजूरी हाथों हाथ दे दी।
खाने—पीने की व्यवस्था से रुकेगा पलायन : दाती मदन महाराज सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा जानवरों के लिए खाद्य सामग्री सड़कों पर डालने से खासे परेशान नजर आए। उन्होंने कहा कि सड़क पर सामग्री डालने से जानवर मर जाते हैं। उन्होंने जानवरों की खानें की व्यवस्था वाटर होलों पर ही करवाने की बात कही।
कूंट, कुल्हाडी व माचिस को जंगल में जाने से रोकें : दाती मदन महराज व जिला प्रमुख खुशवीरसिंह ने कहा कि क्षेत्रवासी निजी स्वार्थों के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई करवा रहे हैं इस कारण लगातार अकाल का दंश भोगना पड़ रहा है। उन्होंने वनकर्मियों को संकल्प दिलाया कि वे जंगल में कूंट, कुल्हाड़ी व माचिस को ले जाने पर पाबंदी लगाएं। उन्होंने विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अभयारण्य के पास रहने वाले आदिवासियों की कार्यशाला रखें और उन्हें इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि वे स्वयं कार्यशालाओं में आएंगे और मगरा स्नान की कुप्रथा को भी आदिवासियों के दिमाग से निकालने का प्रयास करेंगे।
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